Friday, February 20, 2015



दुःख तो कोई भी दे सकता है वैसे तैसे
(पर ) आप  जैसा कोई मनाये भी तो  मनाये कैसे
अँधेरी  रात को भी दिए की   इंतज़ार होती है
 बारिश के सिवा सम्मा को  बुझाए भी तो बुझाए  कैसे।

पानी में पैदे  हुए बूंद बाहार से  दिखाई नहीं देती
 दिल जब रोति है तो  आवाज उनकी शुनाई नहीं देती
बादल  धरती के लिए तरपता  है जैसे
 आप जैसा कोई मनाये भी तो मनाये  कैसे।

दर्द तो बहुँत देते हो आप जाने अनजाने में
 (पर ) कौन जाने कितना माहिर हो आप दिलको अपनाने में
फज़ूल बातों में दिन  बिताये भी तो  बिताये कैसे
आप  जैसा कोई मनाये भी तो मनाये कैसे।

 

No comments:

Post a Comment